(आपका BMI स्तर जांचे) अधिक वजन या मोटापा (Obesity) शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ा देता है। फैट टिशू शरीर में एंड्रोजन को एस्ट्रोजन में बदलते हैं, जिससे खतरा बढ़ता है।
गर्भाशय का कैंसर (Uterus cancer) भारत में महिलाओं में होने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है। इस कैंसर के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि अगर इसे शुरुआती दौर में ही पकड़ लिया जाए, तो इसका इलाज पूरी तरह से संभव है।
(आपका BMI स्तर जांचे) अधिक वजन या मोटापा (Obesity) शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ा देता है। फैट टिशू शरीर में एंड्रोजन को एस्ट्रोजन में बदलते हैं, जिससे खतरा बढ़ता है।
उम्र बढ़ने के साथ, विशेषकर मेनोपॉज़ के बाद, इसका खतरा बढ़ता है। ज़्यादातर मामले 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में देखे जाते हैं।
अगर परिवार में किसी को गर्भाशय का कैंसर, अंडाशय का कैंसर या कोलन का कैंसर रहा है, तो जोखिम बढ़ जाता है। इसमें जेनेटिक फैक्टर (genetic factors) भी भूमिका निभाते हैं।
⦿ पेल्विक जांच (Pelvic Exam): डॉक्टर गर्भाशय, योनि और अंडाशय की जांच करते हैं। इससे किसी भी असामान्यता या गांठ का पता लगाया जा सकता है।
⦿ ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड (Transvaginal Ultrasound): योनि में एक प्रोब डालकर गर्भाशय की तस्वीरें ली जाती हैं। यह एंडोमेट्रियल परत की मोटाई का आकलन करने में मदद करता है।
⦿ एंडोमेट्रियल बायोप्सी (Endometrial Biopsy): गर्भाशय की परत से ऊतक का नमूना लिया जाता है और उसकी जांच की जाती है। यह गर्भाशय कैंसर की पहचान का सबसे सामान्य तरीका है।
⦿ हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy): एक पतली, रोशनी वाली ट्यूब गर्भाशय में डालकर उसकी अंदरूनी सतह को देखा जाता है। इससे संदेहास्पद क्षेत्रों की पहचान और बायोप्सी की जाती है।
⦿ डाइलेशन एंड क्यूरेटाज (Dilation and Curettage – D&C): गर्भाशय ग्रीवा को फैलाया जाता है और परत से ऊतक को खुरचा जाता है। यह तब किया जाता है जब बायोप्सी संभव न हो या उसका परिणाम स्पष्ट न हो।
⦿ इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests): CT स्कैन, MRI या PET स्कैन का उपयोग कैंसर के फैलाव का पता लगाने के लिए किया जाता है। ये टेस्ट कैंसर की स्टेज जानने में मदद करते हैं।
सर्जरी के बाद उच्च-ऊर्जा किरणों से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। इसमें एक्सटर्नल बीम रेडिएशन या ब्रैकीथेरेपी (brachytherapy – आंतरिक रेडिएशन) हो सकता है।
कैंसर स्टेज | क्या मतलब है | इलाज के विकल्प |
---|---|---|
स्टेज I | कैंसर सिर्फ यूटरस (गर्भाशय) तक सीमित है |
- सर्जरी (हिस्टेरेक्टॉमी +/- लिम्फ नोड हटाना) - उच्च जोखिम वाले मामलों में रेडिएशन या निगरानी |
स्टेज II | कैंसर गर्भाशय की ग्रीवा (सर्विक्स) तक फैल चुका है |
- सर्जरी (हिस्टेरेक्टॉमी + लिम्फ नोड डिसेक्शन) - रेडिएशन ± कीमोथेरेपी |
स्टेज III | कैंसर आस-पास के अंगों (अंडाशय, योनि, लिम्फ नोड्स) तक फैल चुका है |
- सर्जरी - रेडिएशन + कीमोथेरेपी |
स्टेज IV | कैंसर मूत्राशय, मलाशय या शरीर के दूर हिस्सों तक फैल गया है |
- कीमोथेरेपी ± रेडिएशन - सहायक (पैलिएटिव) देखभाल - कुछ मामलों में हार्मोन थेरेपी |
⦿ स्वस्थ वजन बनाए रखें: मोटापा शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाता है, जिससे गर्भाशय कैंसर का खतरा बढ़ता है। सही आहार और व्यायाम से वजन नियंत्रण रखें।
⦿ मधुमेह को नियंत्रित करें: उच्च ब्लड शुगर का स्तर जोखिम बढ़ा सकता है। डाइट, व्यायाम और दवाओं से डायबिटीज को नियंत्रण में रखें।
⦿ बर्थ कंट्रोल पिल्स का उपयोग: मौखिक गर्भनिरोधक (oral contraceptives) से गर्भाशय कैंसर का खतरा कम हो सकता है। इस विकल्प के लिए डॉक्टर से चर्चा करें।
⦿ प्रोजेस्टेरोन थेरेपी पर विचार करें: अगर माहवारी अनियमित है या एस्ट्रोजन ले रही हैं, तो प्रोजेस्टेरोन थेरेपी पर विचार करें। यह हार्मोन संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
⦿ नियमित जांच कराएं: पेल्विक एग्ज़ाम और स्क्रीनिंग के लिए डॉक्टर से समय-समय पर जांच कराएं। जल्दी पहचान से इलाज के नतीजे बेहतर होते हैं।
⦿ स्वस्थ आहार: फल, सब्ज़ियाँ और साबुत अनाज से भरपूर आहार लें। प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट और ज़्यादा फैट वाले डेयरी उत्पादों से बचें।
⦿ साइड इफेक्ट्स का प्रबंधन करें (Manage Side Effects): सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी जैसे इलाज से साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इन्हें संभालने के लिए डॉक्टर की मदद लें और बताई गई सलाह का पालन करें।
⦿ फॉलो-अप केयर (Follow-Up Care): नियमित जांच और स्क्रीनिंग ज़रूरी होती है ताकि कैंसर दोबारा हो तो समय रहते पता चल सके। डॉक्टर द्वारा बताए गए फॉलो-अप शेड्यूल का पालन करें।
⦿ स्वस्थ जीवनशैली (Healthy Lifestyle): स्वस्थ आहार लें, नियमित रूप से व्यायाम करें और धूम्रपान से बचें। यह रिकवरी में मदद करता है और कैंसर दोबारा होने की संभावना को कम करता है।
⦿ भावनात्मक सहयोग (Emotional Support): परिवार, दोस्तों या सपोर्ट ग्रुप्स से भावनात्मक सहारा लें। काउंसलिंग से मानसिक चुनौतियों का सामना करने में मदद मिल सकती है।
MS, DrNB (Surgical Oncology)
डॉ. स्वाति शाह अहमदाबाद की एक प्रसिद्ध रोबोटिक यूरो और गाइनिक कैंसर सर्जन हैं।
MS, MCh (G I cancer Surgeon)
डॉ. हर्ष शाह अहमदाबाद के एक प्रसिद्ध जीआई और एचपीबी रोबोटिक कैंसर सर्जन हैं।