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कैंसर उपचार में इम्यूनोथेरेपी की क्रांति - आपकी पूरी मार्गदर्शिका

कैंसर उपचार में इम्यूनोथेरेपी की क्रांति - आपकी पूरी मार्गदर्शिका

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कैंसर उपचार में इम्यूनोथेरेपी की क्रांति

इम्यूनोथेरेपी कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और उन्नत विधि है। यह थेरेपी हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करके कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सहायता करती है। सामान्यत: हमारा इम्यून सिस्टम शरीर को बाहरी संक्रमणों और बीमारियों से बचाने का काम करता है, लेकिन कभी-कभी यह कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने में असफल हो जाता है। इस समस्या का समाधान इम्यूनोथेरेपी में निहित है, जो हमारे इम्यून सिस्टम को विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और खत्म करने के लिए प्रशिक्षित करती है।

इम्यूनोथेरेपी का ऐतिहासिक विकास

इम्यूनोथेरेपी की शुरुआत 20वीं सदी के मध्य में हुई थी, जब वैज्ञानिकों ने यह समझना शुरू किया कि इम्यून सिस्टम को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए कैसे प्रशिक्षित किया जा सकता है। प्रारंभिक प्रयासों में टीबी बैक्टीरिया का उपयोग करके कैंसर के इलाज के प्रयास शामिल थे। 1970 के दशक में, मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज का विकास हुआ, जो कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करने की क्षमता रखते थे। इसके बाद, 1980 और 1990 के दशकों में इंटरफेरॉन और इंटरल्यूकिन्स जैसी सिग्नलिंग प्रोटीन्स का उपयोग इम्यूनोथेरेपी में किया जाने लगा।

वर्तमान में इम्यूनोथेरेपी की स्थिति

आज वर्तमान में, इम्यूनोथेरेपी कैंसर उपचार के सबसे प्रभावी और कम साइड इफेक्ट्स वाले विकल्पों में से एक मानी जाती है। इसमें मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज, टी-सेल थेरेपी, और चेकपॉइंट इनहिबिटर्स जैसी तकनीकों का उपयोग होता है। हाल ही में, CAR-T सेल थेरेपी ने कैंसर उपचार में क्रांति ला दी है, जिसमें मरीज के टी-सेल्स को विशेष रूप से संशोधित किया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि आपके अपने इम्यून सिस्टम की शक्ति का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं से लड़ना संभव है? इम्यूनोथेरेपी के साथ, यह सपना अब हकीकत बन चुका है। हमारे इम्यून सिस्टम को कैंसर के खिलाफ कैसे प्रशिक्षित किया जाता है और यह उपचार कैसे काम करता है, इसके बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को पढ़ें।

Table of Contents

इम्यूनोथेरेपी कैसे काम करती है?

इम्यूनोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने के लिए शरीर के प्राकृतिक इम्यून सिस्टम का उपयोग करती है। यह प्रक्रिया विभिन्न तरीकों से की जाती है, जैसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज का उपयोग, जो कैंसर कोशिकाओं पर विशेष रूप से हमला करते हैं।
 
इसके अलावा, टी-सेल थेरेपी, जहां मरीज के टी-सेल्स को निकालकर लैब में उन्हें कैंसर से लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, और फिर उन्हें वापस शरीर में डाला जाता है।
 
इम्यूनोथेरेपी में सिग्नलिंग प्रोटीन्स, जैसे इंटरफेरॉन और इंटरल्यूकिन्स, का उपयोग भी शामिल है जो इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करते हैं।

इम्यूनोथेरेपी उपचार के प्रकार

मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज

मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज

यह सिंथेटिक एंटीबॉडीज हैं जो कैंसर कोशिकाओं को विशेष रूप से निशाना बनाते हैं।

टी-सेल थेरेपी

टी-सेल थेरेपी

मरीज के टी-सेल्स को निकालकर लैब में संशोधित किया जाता है और फिर उन्हें कैंसर से लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

सिग्नलिंग प्रोटीन्स

सिग्नलिंग प्रोटीन्स

इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करने के लिए इंटरफेरॉन और इंटरल्यूकिन्स का उपयोग किया जाता है।

वैक्सीन थेरेपी

वैक्सीन थेरेपी

यह कैंसर की रोकथाम और उपचार दोनों के लिए उपयोग की जाती है।

चेकपॉइंट इनहिबिटर्

चेकपॉइंट इनहिबिटर्स

यह इम्यून सिस्टम की ब्रेक्स को हटाते हैं, जिससे यह कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर सके।

इम्यूनोथेरेपी के लाभ

⦿ लंबे समय तक प्रभाव: इम्यूनोथेरेपी का प्रभाव लंबे समय तक रह सकता है क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को कैंसर से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करता है।

⦿ कम साइड इफेक्ट्स: पारंपरिक कीमोथेरेपी की तुलना में इसके साइड इफेक्ट्स कम होते हैं।

⦿ लक्षित उपचार: यह कैंसर कोशिकाओं को विशेष रूप से निशाना बनाता है, जिससे स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं होता।

⦿ अन्य उपचारों के साथ संगत: इम्यूनोथेरेपी को अन्य कैंसर उपचारों के साथ मिलाकर उपयोग किया जा सकता है।

आम कैंसर जिनका इम्यूनोथेरेपी से इलाज होता है

मेलेनोमा

मेलेनोमा

यह त्वचा का एक गंभीर प्रकार का कैंसर है, जिसमें इम्यूनोथेरेपी इलाज के रूप में काफी कारगर साबित हुई है। इस उपचार से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद करती है।

लंग कैंसर

लंग कैंसर

लंग कैंसर के उपचार में इम्यूनोथेरेपी का विशेष महत्व है। यह इलाज उन मामलों में भी सफल होता है, जब पारंपरिक उपचार असफल हो जाते हैं, जिससे मरीज की जीवनशैली में सुधार होता है।

किडनी कैंसर

किडनी कैंसर

किडनी कैंसर के इलाज में भी इम्यूनोथेरेपी का उपयोग होता है। यह उपचार कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने और बीमारी के फैलाव को रोकने में मददगार होता है।

ब्लैडर कैंसर

ब्लैडर कैंसर

ब्लैडर कैंसर के मामलों में इम्यूनोथेरेपी से अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली को सक्रिय करके कैंसर का मुकाबला करता है।

लीवर कैंसर

लीवर कैंसर

लीवर कैंसर के इलाज में भी इम्यूनोथेरेपी प्रभावी साबित हुई है। यह उपचार लीवर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट करने में सहायता करता है।

इम्यूनोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स

थकान

थकान

इलाज के दौरान मरीजों को अत्यधिक थकान महसूस हो सकती है।

त्वचा पर प्रभाव

त्वचा पर प्रभाव

चकत्ते, खुजली और त्वचा में सूजन हो सकती है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं

दस्त, मतली और उल्टी हो सकती है।

बुखार और ठंड लगना

बुखार और ठंड लगना

कुछ मरीजों को बुखार और ठंड लग सकती है।

श्वसन समस्याएं

श्वसन समस्याएं

सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के बीच अंतर

यह तालिका कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के बीच के मुख्य अंतर को सरलता से समझाती है। इसमें दोनों उपचारों के उद्देश्य, प्रभाव और उपयोग की तुलना की गई है।

विषय कीमोथेरेपी (Chemotherapy) इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)
उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना
कार्य करने का तरीका दवाओं का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को सीधे मारना शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करना
प्रभाव स्वस्थ कोशिकाओं पर भी असर डाल सकता है आमतौर पर स्वस्थ कोशिकाओं पर कम असर डालता है
उपचार का प्रकार पारंपरिक कैंसर उपचार उन्नत और नई तकनीक पर आधारित
दुष्प्रभाव बाल झड़ना, कमजोरी, उल्टी, और संक्रमण का खतरा थकान, त्वचा पर रैश, और फ्लू जैसे लक्षण
उपयोग विभिन्न प्रकार के कैंसर के इलाज में उपयोगी मुख्यतः ऊपरी स्तर के कैंसर और कुछ विशेष प्रकार के कैंसर के लिए उपयोगी
अवधि नियमित अंतराल पर कई सत्र विभिन्न योजनाओं के आधार पर
लक्ष्य कैंसर कोशिकाओं की तेजी से बढ़ने और विभाजित होने से रोकना प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना
उपलब्धता लंबे समय से उपयोग में हाल ही में अधिक लोकप्रिय और प्रचलित
प्रभावशीलता कुछ प्रकार के कैंसर में अत्यधिक प्रभावी कुछ मामलों में बहुत प्रभावी, विशेषकर जहां अन्य उपचार विकल्प विफल हो जाते हैं

इम्यूनोथेरेपी की तुलना रेडियोथेरेपी और सर्जरी से

कैंसर के उपचार में कई विधियाँ उपयोग की जाती हैं, जैसे कि कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी। प्रत्येक विधि के अपने फायदे और नुकसान हैं।

विषय रेडियोथेरेपी (Radiotherapy) सर्जरी (Surgery) इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)
उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं को मारना या कम करना कैंसर ट्यूमर को शारीरिक रूप से हटाना रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना
कार्य करने का तरीका उच्च ऊर्जा विकिरण का उपयोग करना सर्जिकल उपकरणों के माध्यम से ट्यूमर को हटाना शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने में मदद करना
प्रभाव स्वस्थ कोशिकाओं पर भी असर डाल सकता है आसपास के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंच सकता है आमतौर पर स्वस्थ कोशिकाओं पर कम असर डालता है
दुष्प्रभाव त्वचा में जलन, थकान, और संक्रमण दर्द, संक्रमण, और रिकवरी में समय थकान, त्वचा पर रैश, और फ्लू जैसे लक्षण
उपयोग ट्यूमर को सिकोड़ने या नष्ट करने के लिए उपयोगी कैंसर को पूरी तरह से हटाने के लिए उपयोगी मुख्यतः उन्नत स्तर के कैंसर और कुछ विशेष प्रकार के कैंसर के लिए उपयोगी
अवधि सत्रों की संख्या और अवधि भिन्न हो सकती है एक या कुछ ही सर्जिकल सत्र विभिन्न योजनाओं के आधार पर
लक्ष्य ट्यूमर को कम या नष्ट करना ट्यूमर को शरीर से हटाना प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना
उपलब्धता लंबे समय से उपयोग में पारंपरिक कैंसर उपचार हाल ही में अधिक लोकप्रिय और प्रचलित
प्रभावशीलता कुछ प्रकार के कैंसर में अत्यधिक प्रभावी ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने में प्रभावी कुछ मामलों में बहुत प्रभावी, विशेषकर जहां अन्य उपचार विकल्प विफल हो जाते हैं

इम्यूनोथेरेपी में नवीनतम प्रगति

इम्यूनोथेरेपी के क्षेत्र में निरंतर अनुसंधान और विकास हो रहा है, जिससे इसके परिणामों में सुधार हो रहा है। कुछ प्रमुख नवीनतम प्रगति निम्नलिखित हैं:

 

⦿ CAR-T सेल थेरेपी: इसमें मरीज के टी-सेल्स को लैब में संशोधित किया जाता है ताकि वे कैंसर कोशिकाओं को अधिक प्रभावी ढंग से पहचान सकें और मार सकें। यह ल्यूकेमिया और लिंफोमा के इलाज में काफी सफल रही है।

 

⦿ नवीनतम मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज: नए मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज विकसित किए जा रहे हैं जो कैंसर कोशिकाओं को अधिक सटीक रूप से लक्षित कर सकते हैं, जिससे उपचार की प्रभावशीलता बढ़ती है और साइड इफेक्ट्स कम होते हैं।

 

⦿ चेकपॉइंट इनहिबिटर्स: यह इम्यून सिस्टम की ब्रेक्स को हटाते हैं, जिससे टी-सेल्स कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर सकते हैं। PD-1 और PD-L1 इनहिबिटर्स इस श्रेणी में आते हैं और कई प्रकार के कैंसर में उपयोग किए जाते हैं।

 

⦿ टी-सेल इंजीनियरिंग: इसमें मरीज के टी-सेल्स को जीन संशोधन तकनीकों के माध्यम से बेहतर तरीके से कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और खत्म करने के लिए संशोधित किया जाता है।

क्लिनिकल ट्रायल्स में इम्यूनोथेरेपी

क्लिनिकल ट्रायल्स में इम्यूनोथेरेपी - फेज I

फेज I

इस चरण में, थोड़े से मरीजों पर इम्यूनोथेरेपी का परीक्षण किया जाता है ताकि इसकी सुरक्षा और सही डोज की जानकारी मिल सके।
क्लिनिकल ट्रायल्स में इम्यूनोथेरेपी - फेज II

फेज II

इसमें अधिक मरीज शामिल होते हैं और इसका उद्देश्य इम्यूनोथेरेपी की प्रभावशीलता और साइड इफेक्ट्स को जांचना होता है।
क्लिनिकल ट्रायल्स में इम्यूनोथेरेपी - फेज III

फेज III

इस चरण में, इम्यूनोथेरेपी को हजारों मरीजों पर परीक्षण किया जाता है और इसे अन्य उपचारों के साथ तुलना की जाती है।
क्लिनिकल ट्रायल्स में इम्यूनोथेरेपी - फेज IV

फेज IV

यह चरण इम्यूनोथेरेपी के बाजार में आने के बाद इसके साइड इफेक्ट्स और प्रभावशीलता की निगरानी करता है।

इम्यूनोथेरेपी का भविष्य

इम्यूनोथेरेपी का भविष्य उज्ज्वल है। अनुसंधान और विकास की नई दिशाओं में इम्यूनोथेरेपी को और अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने की कोशिश की जा रही है। आने वाले समय में, इम्यूनोथेरेपी कैंसर के इलाज में एक प्रमुख भूमिका निभाने वाली है।
 

⦿ व्यक्तिगत उपचार: भविष्य में, इम्यूनोथेरेपी को व्यक्तिगत जीनोमिक प्रोफाइल के आधार पर अनुकूलित किया जाएगा, जिससे प्रत्येक मरीज के लिए सबसे प्रभावी उपचार निर्धारित किया जा सकेगा।

⦿ संयुक्त थेरेपी: इम्यूनोथेरेपी को अन्य उपचारों जैसे कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी के साथ मिलाकर उपयोग किया जाएगा, जिससे कैंसर का पूरी तरह से इलाज संभव हो सकेगा।

⦿ नए बायोमार्कर्स: नए बायोमार्कर्स की पहचान और विकास किया जा रहा है, जिससे यह निर्धारित किया जा सकेगा कि कौन से मरीज इम्यूनोथेरेपी के लिए सबसे उपयुक्त हैं।

⦿ कम लागत: अनुसंधान और उत्पादन में सुधार के साथ, इम्यूनोथेरेपी की लागत में कमी आएगी, जिससे यह अधिक सुलभ हो सकेगी।

⦿ नए लक्ष्य: वैज्ञानिक नए कैंसर मार्कर्स और इम्यून सिस्टम के घटकों की पहचान कर रहे हैं, जिन्हें इम्यूनोथेरेपी द्वारा लक्षित किया जा सकेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

हाँ, इम्यूनोथेरेपी स्टेज 4 कैंसर के इलाज में प्रभावी हो सकती है, विशेष रूप से जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं। यह इम्यून सिस्टम को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सक्षम बनाती है।
इम्यूनोथेरेपी को विभिन्न तरीकों से दिया जा सकता है, जैसे इंजेक्शन, इन्फ्यूजन, या ओरल मेडिकेशन के माध्यम से। यह इस पर निर्भर करता है कि किस प्रकार की इम्यूनोथेरेपी का उपयोग किया जा रहा है।
हाँ, इम्यूनोथेरेपी कई प्रकार के कैंसर का प्रभावी इलाज कर सकती है, खासकर उन मामलों में जहां अन्य उपचार कारगर नहीं होते।
इम्यूनोथेरेपी का विकास 20वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ था, लेकिन इसके व्यापक उपयोग और सफलता हाल के दशकों में ही देखने को मिली है।
इम्यूनोथेरेपी इम्यून सिस्टम को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन पर हमला करने के लिए प्रशिक्षित करती है, जिससे यह कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अधिक प्रभावी होती है।
इम्यूनोथेरेपी सत्रों की संख्या मरीज और कैंसर की स्थिति के आधार पर भिन्न होती है। डॉक्टर उपचार योजना के अनुसार सत्रों की संख्या निर्धारित करते हैं।
इम्यूनोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने के लिए इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। यह विभिन्न तरीकों से किया जाता है, जैसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज, टी-सेल थेरेपी, और सिग्नलिंग प्रोटीन्स।
इम्यूनोथेरेपी को तब उपयोग किया जाता है जब पारंपरिक उपचार विफल हो जाते हैं या जब कैंसर के प्रकार के लिए यह सबसे उपयुक्त होता है।
यह इस पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का कैंसर है और मरीज की स्थिति क्या है। इम्यूनोथेरेपी कम साइड इफेक्ट्स के साथ लंबे समय तक प्रभावी हो सकती है, जबकि कीमोथेरेपी तेजी से काम करती है लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स अधिक होते हैं।
Dr Harsh Shah - Robotic Cancer Surgeon

Written by

डॉ हर्ष शाह

MS, MCh (G I cancer Surgeon)

डॉ. हर्ष शाह अहमदाबाद के एक प्रसिद्ध जीआई और एचपीबी रोबोटिक कैंसर सर्जन हैं।

Dr Swati Shah

Reviewed by

डॉ. स्वाति शाह

MS, DrNB (Surgical Oncology)

डॉ. स्वाति शाह अहमदाबाद की एक प्रसिद्ध रोबोटिक यूरो और गाइनिक कैंसर सर्जन हैं।

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